tag:blogger.com,1999:blog-8572692232380351295.post1248217468923543086..comments2024-03-05T05:42:44.426+05:30Comments on रिजेक्ट माल: आज मैं आज़ाद हूं दुनिया के चमन में (भाग-2)दिलीप मंडलhttp://www.blogger.com/profile/05235621483389626810noreply@blogger.comBlogger4125tag:blogger.com,1999:blog-8572692232380351295.post-24270920839716892052008-01-10T16:27:00.000+05:302008-01-10T16:27:00.000+05:30अर्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र!!! 'बुरा मत मानिए...अर्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र!!! 'बुरा मत मानिएगा' की जगह, 'बुरा मानिएगा' चला गया. अब जाकर देखा तो भूल का अहसास हुआ. क्षमाप्रार्थी!विजयशंकर चतुर्वेदीhttps://www.blogger.com/profile/12281664813118337201noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8572692232380351295.post-41811707173220170252008-01-10T02:18:00.000+05:302008-01-10T02:18:00.000+05:30बुरा मानिएगा क्योंकि मेरी जहाँ तक समझ है, यह लेख अ...बुरा मानिएगा क्योंकि मेरी जहाँ तक समझ है, यह लेख अच्छी तरह से नहीं लिखा गया है. पहले तो आपने कहा कि 'किसी की अपेक्षा नहीं थी कि खीर बने'. इससे शुरुआत में ही पाठक के मन में आप यह भर देती हैं कि परिवार बड़ा लोकतांत्रिक और आधुनिक है. फ़िर ससुर खीर परम्परा की याद दिलाता है. तो क्या ग़लत करता है वह? <BR/>लेख के लोच से यह सामने आता है कि ससुर इतना समझदार है कि सुबह उसने कुछ नहीं कहा लेकिन अब उसे बहू से इतना स्नेह है कि वह परम्परा का बहाना लेकर कहता है कि जब हर किसी के जन्मदिन पर खीर बनती है तो बहू के जन्मदिन पर क्यों न बने? आख़िर वह कोई पराई तो नहीं!<BR/><BR/>'बहू के इरादे अलग थे' लिखकर आप यह संकेत देती हैं कि बहू वैम्प है. गृहस्वामिनी जैसा शब्द इस्तेमाल करके आप उसे सचमुच बड़ा रुतबा भी दे रहीं हैं यानी उसे इस घर में वह सब मिला हुआ है जिसकी वह तमन्ना करती है या करती थी.<BR/><BR/>आपके लेख से यह संदेश जाता है कि बहू ग़लत कर रही है जबकि आपका मक़सद हरगिज़ ऐसा नहीं था. क्या मैं ठीक समझा? अगर हाँ, तो लिखने की शैली में ही कहीं कोई त्रुटि है. वैसे मैं लेखन के बारे में ज्यादा नहीं जानता.विजयशंकर चतुर्वेदीhttps://www.blogger.com/profile/12281664813118337201noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8572692232380351295.post-53460426474127603882008-01-09T10:52:00.000+05:302008-01-09T10:52:00.000+05:30..sabse chid hone ke baad fir dheere dheere apne '.....sabse chid hone ke baad fir dheere dheere apne 'kuch na kar pane'ki aadat se bhi chid ho jaegi..Pooja Prasadhttps://www.blogger.com/profile/06905471603653467131noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8572692232380351295.post-7222097613694913462008-01-09T04:10:00.000+05:302008-01-09T04:10:00.000+05:30हम्म , क्या कहा जाए ? यदि सबको खुश करने में लगी रह...हम्म , क्या कहा जाए ? यदि सबको खुश करने में लगी रहोगी तो वह दिन दूर नहीं जब आपको इन सबसे चिढ़ हो जाए ।<BR/><BR/>घुघूती बासूतीghughutibasutihttps://www.blogger.com/profile/06098260346298529829noreply@blogger.com