tag:blogger.com,1999:blog-8572692232380351295.post1334076011390434782..comments2024-03-05T05:42:44.426+05:30Comments on रिजेक्ट माल: नॉरसिसस बनने से बचाते हैं बेनामीदिलीप मंडलhttp://www.blogger.com/profile/05235621483389626810noreply@blogger.comBlogger7125tag:blogger.com,1999:blog-8572692232380351295.post-53053984810070060932008-03-28T00:13:00.000+05:302008-03-28T00:13:00.000+05:30नर्सीसस वाली बात टू ठीक है. लेकिन भाई जो बात हम बे...नर्सीसस वाली बात टू ठीक है. लेकिन भाई जो बात हम बेनाम होकर कह सकते हैं उसे नाम से कहने में कैसा हर्ज? और जो ख़ुद को छिपेगा वह किसी और को कुछ भी होने से बचाएगा. ख़ुद टू वो फौज के सिपाही हो जाते हैं जिसे बकौल गब्बर संघ ठाकुर ने खडी कर रखी थी. और वो वास्तव में वही होते भी हैं.इष्ट देव सांकृत्यायनhttps://www.blogger.com/profile/06412773574863134437noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8572692232380351295.post-88483109640597098792008-03-27T23:37:00.000+05:302008-03-27T23:37:00.000+05:30देखिये जहाँ तक जाति वाला मसला है, उस पर कोमेंट करन...देखिये जहाँ तक जाति वाला मसला है, उस पर कोमेंट करने वाले पहचान ही लिए जाते हैं और छुप रहने वाले भी. संघ को भी इस मसले पर नंगा होने के बावजूद यूथ फॉर एक्वालिटी जैसे नामों की जरुरत पड़ जाती है. हमारे बुद्धिजीवी भी इस मसले पर आकर ज्यादातर अजीब बातें करने लगते हैं. फिर जो बात व्यक्तियों को लेकर टिप्पणी की है, वह महत्वपूर्ण है. मुद्दे के बजाय लोग उसे लिखने वाले को लेकर ज्यादा परेशां होते हैं.Ek ziddi dhunhttps://www.blogger.com/profile/05414056006358482570noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8572692232380351295.post-91405205797917930442008-03-27T23:06:00.000+05:302008-03-27T23:06:00.000+05:30बात काफ़ी हद तक सही है। बेनामी लोग थे, हैं और रहेंग...बात काफ़ी हद तक सही है। बेनामी लोग थे, हैं और रहेंगे। बात -बात पर इज्जत उतरने की बात भी छुई -मुई वाली बात है। लेकिन समस्या तब आती है जब लोग बेनामी की आड़ में अभद्र टिप्पणियां करते हैं। गाली-गलौज करते हैं।अनूप शुक्लhttps://www.blogger.com/profile/07001026538357885879noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8572692232380351295.post-5322668159471880422008-03-27T13:39:00.000+05:302008-03-27T13:39:00.000+05:30Ab to hum apna suicide note bhi anonymous hi likhe...Ab to hum apna suicide note bhi anonymous hi likhenge sir jee.<BR/><BR/>Debate mudde par ho isliye anonymous likhate hain...aapse ya kisi se koi personal locha thode hi hai.<BR/><BR/>kai baar baat aapse sahmat hote hue hi rakhta hun lekin shayad kahne ka tareeka thoda teekha ya ajeeb lagta ho aapko.<BR/><BR/>waise main to in ya kisi bhi bahas mein ab vishwas khone laga hun. sachmuch.Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8572692232380351295.post-80503995495630888032008-03-27T11:35:00.000+05:302008-03-27T11:35:00.000+05:30हुजूर-ए-आला से सहमति है . अनाम न होंगे तो ओढे हुए ...हुजूर-ए-आला से सहमति है . अनाम न होंगे तो ओढे हुए आभिजात्य/पांडित्य का मुखौटा कौन खींचेगा ? प्रतिमा का सिंदूर कौन खरोंचेगा ? <BR/><BR/>इस हाथ दे,उस हाथ ले;अहो रूपम अहो ध्वनिम और 'आजा मेरे सप्पमपाट,मैं तने चाटूं तू मने चाट' के आदान-प्रदानवादी सम्पर्कयुग में,अगर अपनी भूमिका ठीक से समझें और थोड़ी-सी वस्तुनिष्ठता बनाए रखें, तो कई बार बनती दिखती अश्लील सर्वानुमति या सर्वसहमति के माहौल में असली 'वाचडॉग'या 'पहरुए' तो अनाम ही साबित होंगे .<BR/><BR/>आनामी-बेनामी टिप्पणीमारक, अगर उनका उद्देश्य सिर्फ़ सुधारक है, तो वे आत्ममुग्धता नाम की महामारी के खिलाफ़ एक किस्म का 'वैक्सीनेशन' या टीकाकरण हैं . अब टीका लगेगा तो थोड़ा दर्द तो होगा ही . किसी-किसी को हल्का बुखार भी आ सकता है .<BR/> <BR/> -- चौपटस्वामीAnonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8572692232380351295.post-31333062592254799182008-03-27T03:22:00.000+05:302008-03-27T03:22:00.000+05:30दिलीप जीसही कहा आपने. बेनामी का अपना महत्व है, पहल...दिलीप जी<BR/>सही कहा आपने. बेनामी का अपना महत्व है, पहला वाक्य पढ़ते ही समझ में आ जाता है कि बात में कोई सार है या नहीं, उसके बाद बेनामी हो या नामवर, क्या फर्क़ पड़ता है, जाति प्रथा वाले कमेंट ज्यादातर स्लांडर थे जिनमें कोई सार नहीं था लेकिन बेनामी चिट्ठियां कई बार मुद्दे की बात कहती हैं. मेरा तो ब्लॉग ही बेनामी है...अनामदासhttps://www.blogger.com/profile/10451076231826044020noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8572692232380351295.post-25953012061676766322008-03-27T02:01:00.000+05:302008-03-27T02:01:00.000+05:30निंदक नीयरे रखिए कि बात सही है. हमला अगर विचारों ...निंदक नीयरे रखिए कि बात सही है. हमला अगर विचारों के मतभेद के चलते हो तो इसमे ब्लॉग जगत का भला ही होगा. हाँ हमले व्यक्तिगत नही होनें<BR/> चाहिए.vikas pandeyhttps://www.blogger.com/profile/02670834610081293845noreply@blogger.com