tag:blogger.com,1999:blog-8572692232380351295.post7744672498898385506..comments2024-03-05T05:42:44.426+05:30Comments on रिजेक्ट माल: वाह क्रीमी लेयर से आह क्रीमी लेयर तकदिलीप मंडलhttp://www.blogger.com/profile/05235621483389626810noreply@blogger.comBlogger2125tag:blogger.com,1999:blog-8572692232380351295.post-88425996841960801132008-06-22T12:07:00.000+05:302008-06-22T12:07:00.000+05:30सिर्फ और सिर्फ दलितों , वनवासियों को ही आरक्षण की ...सिर्फ और सिर्फ दलितों , वनवासियों को ही आरक्षण की आवश्यकता है।<BR/>आरक्षण का लाभ सही रूप में लोगों तक नहीं पहुंचा है। <BR/>सरकारी नौकरियां बची कितनी हैं जो आरक्षण से कोई खुश हो ?<BR/>गूजरों के लिए आरक्षण भी राजनीति ही है। एक रिटायर्ड कर्नल का टाईमपास शगल। गरीब सवर्णों से बेहतर स्थिति में रहे हैं गूजर। कम से कम उनके पास ज़मीने तो हैं।अजित वडनेरकरhttps://www.blogger.com/profile/11364804684091635102noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8572692232380351295.post-67642220907556915392008-06-20T11:18:00.000+05:302008-06-20T11:18:00.000+05:30हां हम भी वहि सोच रहे थे कि गरिब सवर्णॊ को रिजर्वे...हां हम भी वहि सोच रहे थे कि गरिब सवर्णॊ को रिजर्वेशन मिला कोइ celebrate क्यों नहीं कर रहा? देखिये मिडिया और राजनिति मे जो सबसे ज्यादा बिकता है वो है दलित, पिछडे, अल्पसन्खयक इत्यादि. बाकी तो मिडिया चाहे राजिनितिग्यो के राजनितिक रोटि सेंकने मे मदद नहीं करते. अब देखिये ना ना तो मान्गने वाले दिवाली मना रहे हैं और अश्चर्य है कि देने वाले भी एक गुमी साधे हुए हैं. बाकि जनता को तो मालुम है की यार अब रिजर्वेशन राजनिति का हथगन्डा है.<BR/>अब देखिये ना आपको भी याद आई तो कैसा मुह मे कसाव लिये लेख लिखे हैं. जैसे कह रहे हैं आप कि अरे सवर्णॊ हम तुम लोगो का ठेका ले रखे है का लिखने का, तुम लोग लिखो.<BR/>धन्यवाद याद दिलाने के लिये.<BR/>-सर्वेशSarveshhttps://www.blogger.com/profile/15736299921472395047noreply@blogger.com