tag:blogger.com,1999:blog-8572692232380351295.post8689698597008134693..comments2024-03-05T05:42:44.426+05:30Comments on रिजेक्ट माल: शहरीकरण, अंग्रेजी शिक्षा और अंतर्जातीय विवाहदिलीप मंडलhttp://www.blogger.com/profile/05235621483389626810noreply@blogger.comBlogger2125tag:blogger.com,1999:blog-8572692232380351295.post-31949536778470795462007-12-06T12:21:00.000+05:302007-12-06T12:21:00.000+05:30बहुत ही दिलचस्प लेख ! शोध के परिणाम तो हमारे अन्दा...बहुत ही दिलचस्प लेख ! शोध के परिणाम तो हमारे अन्दाजे अनुकूल ही निकले, परन्तु ठोस होने के कारण इन्हें अधिक गम्भीरता से लिया जा सकता है । जो कुछ भी जातिवाद को खत्म करने में सहायता करे उसका स्वागत है ।<BR/>घुघूती बासूतीghughutibasutihttps://www.blogger.com/profile/06098260346298529829noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8572692232380351295.post-53143382497153557112007-12-06T11:47:00.000+05:302007-12-06T11:47:00.000+05:30किसी भी शोध में यदि कुछ मौलिक सिद्धान्तों की अनदेख...किसी भी शोध में यदि कुछ मौलिक सिद्धान्तों की अनदेखी की जाय तो चौंकाने वाले निष्कर्ष <BR/>निकालना बायें हाँथ का खेल है।<BR/><BR/>इन तथाकथित शोध ने एक बहुत ही महत्वपूर्ण तथ्य की अवहेलना की है - मराठी स्कूल में प्रवेश लेने वाले और अंग्रेजी स्कूल में प्रवेश लेने वालों की सामाजिक पृष्ठभूमि में प्रवेश लेते समय ही जमीन-आसमान का अन्तर होता है। इसलिये स्कूलोत्तर जीवन अलग-अलग होना अंग्रेजी या मराठी शिक्षा की देन कैसे मान ली जाय। <BR/><BR/>दूसरी बात, ९% और ११% में इतना अन्तर नहीं है कि इस शोध को महत्व दिया जा सके। <BR/><BR/>इस तथाकथित शोध को करने वाले विदेशी हैं। यदि वे भारतीय समाज के किसी आयाम से अनभिज्ञ हैं, तो इसमे आश्चर्य की बात नहीं है। किन्तु मुझे लगता है कि इन्होने जानबूझकर ये कुतर्कपूर्ण शोधपत्र रचा।अनुनाद सिंहhttps://www.blogger.com/profile/05634421007709892634noreply@blogger.com