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Saturday, September 1, 2007

दो बातें वेणु गोपाल विवाद पर

पुनीत

अनुराधाजी, दिलीपजी, प्रणब जी सबसे पहले तो आप तीनो को बधाई और आपका हार्दिक अभिनन्दन. हिंदी ब्लॉगों से गुजरने की आदत के वशीभूत भडास देखते हुये 'रेजेक्ट माल' पर नज़र पडी. पढ़ कर इतना खुश हो गया कि तुरंत आपके ब्लौग पर जा पहुँचा. रेजेक्ट माल का concept तो शानदार है ही, उस पर माल भी आपने अच्छा दिया है. पूजा प्रसाद की कविता से ज्यादा अच्छी और सच्ची लगी उनकी टिप्पणी.
दिलीपजी ने कामरेड के कान के जरिये कम्युनिस्टों के जातिवाद पर अच्छा प्रहार किया है. एम्स सचमुच सामाजिक अन्याय की प्रयोगशाला बन गया है. इसका तगडा विरोध भी होना चाहिए. इस मुद्दे को उठा कर आपने अच्छा काम किया है.
मगर जाति के सवाल पर एक अलग दृष्टिकोण से भी विचार होना चाहिए. वैसे मैं यह नहीं मानता कि आप लोगों को ये बातें मालूम नहीं होंगी, फिर भी मौजूदा बहस के संदर्भ मे याद दिलाने के लिए कह रहा हूँ. और सबसे अच्छा तरीका अपनी बात कहने का वही है जो आपने बताया है यानी रेजेक्ट लोगों या रेजेक्ट समुदाय की बात करें (उन लोगों की जो अपनी आजीविका के लिए श्रम बेचने को मजबूर हैं). दो राय नहीं कि इस समूह का भी बड़ा हिस्सा उन्हीं लोगों का है जो पिछड़ी जातियों से संबंध रखते हैं. लेकिन इन जातियों का छोटा ही सही पर एक हिस्सा ऐसा भी है जो रेजेक्ट समूह मे नहीं आता. उदाहरण के लिए कई राजनेता, व्यापारी और बडे किसान भी पिछड़ी जातियों से आते हैं. खुद आपने 'रेजेक्ट माल क्या और क्यों' मे कहा है और बिल्कुल ठीक कहा है कि रेजेक्ट लोगों के हित ही नहीं उनकी समस्याएं और चुनौतियाँ भी साझा हैं. मैं बिहार के अपने ही गांव की बात करूं तो एक यादव परिवार के पास चालीस एकड़ खेत है. मुसहर, मुसलमान, कुछ यादव भी और कुछ अन्य जातियों के लोग उस परिवार के खेतों मे जन (खेत हीन मजदूर) के रूप मे काम करते हैं. अब अगर यहाँ जाति का सवाल उठाएं तो श्रम खरीदने वालों और बेचने वालो के हित साझा मानने पड़ेंगे जिससे आपकी बात ग़लत साबित होती नज़र आएगी. तथ्य यह है कि आपकी बात सौ फीसदी सच है. अगर आप मजदूरी बढाने की मांग करें या काम के घंटे कम करने की मांग करें तो सिर्फ इसी गांव के नही देश भर मे फैले रेजेक्ट समूह के सभी लोग (चाहे वे किसी भी जाति या धर्म के हो) लाभान्वित होंगे. लेकिन अगर जाति का सवाल उठाते है तो खेत हीन यादव खुद को जमींदार यादव के साथ खडा पायेंगे. यानी रेजेक्ट लोगों के समूह मे फूट पडेगी.
अब आप ही तय करें कि जाति के सवाल को किं स्थितियों मे और कहाँ तक उठाना जायज है.
बहरहाल रेजेक्ट माल जैसा ब्लोग बनाने के लिए आप लोगों को एक बार फिर बधाई.

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