ड्राइवरों की शिकायत है कि ये सब इक्विपमेंट बनाने वाली कंपनियों के हित में किया जा रहा है। साथ ही सरकार विज्ञापन एजेंसियों को भी खुश करना चाहती है, क्योंकि पीछे की सीट पर लगने वाले स्क्रीन पर लगातार विज्ञापन और फिल्मों के ट्रेलर चलते रहेंगे। इन उपकरणों को लगाने पर 4,000 डॉलर का खर्च आएगा जिसे टैक्सी ड्राइवरों को उठाना होगा। जीपीएस सिस्टम भी कोई नेविगेशन सिस्टम नहीं है और ये कस्टमर या ड्राइवर को कहीं पहुंचने में मदद नहीं करेगा। या सिर्फ गाड़ी की स्थिति बताएगा। ये व्यवस्था 1 अक्टूबर से शुरू हो रही है। इसलिए टैक्सी ड्राइवर आंदोलन पर हैं। आंदोलनकारियों के नेता भैरवी देसाई के मुताबिक उनकी हड़ताल सफल रही है। ये खबर आप विस्तार से काउंटरपंच साइट पर पढ़ सकते हैं।

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Monday, September 10, 2007
न्यूयॉर्क की टैक्सी हड़ताल से आखिर आपको क्यों मतलब होना चाहिए
-दिलीप मंडल
न्यूयॉर्क के टैक्सी ड्राइवरों का आंदोलन चल रहा है। इस आंदोलन से आपको इसलिए मतलब हो सकता है कि न्यूयॉर्क में टैक्सी चलाने वालों में ज्यादातर भारतीय और पाकिस्तानी हैं। या फिर कुछ ऐसी ही चीजें भारत में भी हो रही हैं। न्यूयॉर्क टैक्सी ड्राइवर्स एलायंस ने 6 और 7 सितंबर को हड़ताल की और अपना विरोध जताया। मुद्दा ये है कि न्यूयॉर्क का नगर प्रशासन इन टैक्सियों में जीपीएस यानी ग्लोबल पॉजिशनिंग सिस्टम वाला ट्रेकिंग सिस्टम लगाना चाहता है। इसके अलावा टैक्सियों में टच स्क्रीन मॉनिटर और क्रेडिट कार्ड रीडर मशीन लगाना भी जरूरी कर दिया गया है।
ड्राइवरों की शिकायत है कि ये सब इक्विपमेंट बनाने वाली कंपनियों के हित में किया जा रहा है। साथ ही सरकार विज्ञापन एजेंसियों को भी खुश करना चाहती है, क्योंकि पीछे की सीट पर लगने वाले स्क्रीन पर लगातार विज्ञापन और फिल्मों के ट्रेलर चलते रहेंगे। इन उपकरणों को लगाने पर 4,000 डॉलर का खर्च आएगा जिसे टैक्सी ड्राइवरों को उठाना होगा। जीपीएस सिस्टम भी कोई नेविगेशन सिस्टम नहीं है और ये कस्टमर या ड्राइवर को कहीं पहुंचने में मदद नहीं करेगा। या सिर्फ गाड़ी की स्थिति बताएगा। ये व्यवस्था 1 अक्टूबर से शुरू हो रही है। इसलिए टैक्सी ड्राइवर आंदोलन पर हैं। आंदोलनकारियों के नेता भैरवी देसाई के मुताबिक उनकी हड़ताल सफल रही है। ये खबर आप विस्तार से काउंटरपंच साइट पर पढ़ सकते हैं।
ड्राइवरों की शिकायत है कि ये सब इक्विपमेंट बनाने वाली कंपनियों के हित में किया जा रहा है। साथ ही सरकार विज्ञापन एजेंसियों को भी खुश करना चाहती है, क्योंकि पीछे की सीट पर लगने वाले स्क्रीन पर लगातार विज्ञापन और फिल्मों के ट्रेलर चलते रहेंगे। इन उपकरणों को लगाने पर 4,000 डॉलर का खर्च आएगा जिसे टैक्सी ड्राइवरों को उठाना होगा। जीपीएस सिस्टम भी कोई नेविगेशन सिस्टम नहीं है और ये कस्टमर या ड्राइवर को कहीं पहुंचने में मदद नहीं करेगा। या सिर्फ गाड़ी की स्थिति बताएगा। ये व्यवस्था 1 अक्टूबर से शुरू हो रही है। इसलिए टैक्सी ड्राइवर आंदोलन पर हैं। आंदोलनकारियों के नेता भैरवी देसाई के मुताबिक उनकी हड़ताल सफल रही है। ये खबर आप विस्तार से काउंटरपंच साइट पर पढ़ सकते हैं।
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1 comment:
इस जमाने मे जो न हो वो कम. देखते रहिए आगे आगे होता है का
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