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Friday, August 13, 2010

2 comments:

shikha singh said...

dear sir this is the wonderful initiative taken by you.we all post our reject mall to this blog, with hope that there is someone who provide better opportunity and platform to us.

विनीत कुमार said...

यहां न पढ़कर भी ये जगह बहुत अपनी लगती है। यहां की लाइब्रेरी में कई दिनों तक बैठकर काम किया है। एम फिल् के दौरान काफी कुछ लिखा। बीच-बीच में आनंद प्रधान सर के पास सुस्ताने चला जाता।.बहुत सारी यादें जुड़ी हैं यहां से।.

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