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Sunday, April 19, 2009

लोकसभा चुनाव के प्रत्याशियों से ग्यारह सवाल

साथियो, देश में लोकसभा चुनाव की प्रक्रिया चल रही है। तमाम दलीय और निर्दलीय प्रत्याशी हमारे सामने यानी इस देश की जनता के सामने अपने मुद्दों को जनता का मुद्दा बताते हुए रख रहे हैं। ऐसे में 'देश की मेहनतकश आबादी के जन राजनीतिक संगठन' ऑल इंडिया वर्कर्स कौंसिल की पहल पर गठित भारतीय जन्संसाद ने जनता के कुछ आधारभूत मुद्दों को प्रत्याशियों के सामने रखने का सराहनीय प्रयास किया है। यह प्रयास भारतीय जन संसद के इस पत्रक में दीखता है जिसे हम यहाँ आप सबके साथ साझा कर रहे हैं।

महोदय,

देश की सर्वोच्च पंचायत - संसद - में हमारा प्रतिनिधित्व करने का जनादेश प्राप्त करने के लिए आप हमारे क्षेत्र में पधारे, इसके लिए हम आपके शुक्रगुजार हैं। जनसेवा के सम्बन्ध में हमें आप/ आपके दल की नीयत पर कोई संदेह नही है। फ़िर भी, विगत साठ वर्षों का अनुभव यही दर्शाता है किदेश के जनसेवक विभिन्न प्रश्नों पर हमारे हितों की पैरवी करने के बजाय शोषक - शासक वर्ग की सेवा में ही लीन रहे हैं।

इस सन्दर्भ में केवल एक ही तथ्य की तरफ़ संकेत कर देना काफ़ी होगा कि जन समस्याओं के समाधान के तमाम वादों और दावों के बावजूद आजादी के वक्त देश कि जो कुल आबादी थी लगभग उतने लोग आज गरीबी की रेखा के नीचे कीडो-मकोडों जैसा जीवन व्यतीत कर रहे हैं। देश के विकास के नाम पर एक तरफ़ अरबपतियों-खरबपतियों की संख्या में तीव्र बढोतरी हो रही है तो दूसरी तरफ़ लगभग ८० प्रतिशत जनता औसतन मात्र २० रुपये रोजाना की कमाई पर अमानुषिक जीवन जीने को विवश हैं।

ऐसे में इस चुनाव के मौके पर देश का जन साधारण अपनी आम समस्याओं के समाधान हेतु कोछ ठोस सवाल उठा कर जानना चाहता है कि इस सम्बन्ध में आप/आपके दल की योजना क्या है? इस बाबत हम अपने अब तक के अनुभवों के मद्देनज़र आपके किन्हीं वादों और घोषनाओं पर भरोसा करने के बजाय आपकी व्यवस्थित योजना के ठोसपन और उसकी सार्थकता पर विचार-विमर्श करके तदनुसार मतदान करने का निर्णय लेंगे।

सवाल

१, देश में लोकतंत्र की उम्र बढ़ने के साठ-साठ आम आदमी पर महंगाई, बेरोज़गारी तथा बहुआयामी भ्रष्टाचार का शिकंजा लगातार कसता गया है। समय-समय पर सत्ता पक्ष और विपक्ष के नेताओं ने बार-बार इसका रोना रोया है, लेकिन इसे समाप्त करने की दिशा में निर्णायक कदम कभी नही उठाया गया। इसे समाप्त करने के लिए एपी/आपके दल की क्या योजना है?

२, देश की बहुसंख्या आबादी आजीविका के परम्परागत निजी साधनों से वंचित होकर मजदूर बन चुकी है। और उसकी श्रम शक्ति की बिक्री न हो पाने तथा परिवार के समुचित भरण-पोषण लायक मजदूरी न मिल पाने के कारण उसकी जीवन दशाएं लगातार बाद से बदतर होती जा रही हैं। इस देशव्यापी आम सस्मस्य के निराकरण के लिए आप/आपके दल की क्या योजना है?

३, अर्थतंत्र के असंगठित क्षेत्र में अस्थायी, दिहाडी तथा ठेका मजदूरों की भरतो है ही, न्हारत sarkaar की नयी आर्थिक नीति के तहत अब संगठित क्षेत्र में भी विभिन्न तरीकों से स्थायी मजदूरों को हटा कर उनकी जगह अस्थायी, दिहाडी तथा ठेका मजदूरों से काम लिया जाने लगा है जिनकी तादाद विभिन्न उद्यमों में कार्यरत स्थायी मजदूरों के लगभग बराबर हो गयी है। विदित है इन तमाम अस्थायी, दिहाडी तथा ठेका मजदूरों को श्रम कानूनों द्वारा प्रदत्त सामान्य सुविधाएं तो उपलब्ध हैं ही नही, अब समान काम के लिए असमान वेतन की एक नयी विसंगति भी पैदा कर दी गयी है। इस सम्बन्ध में एपी/आपके दल की योजना क्या है?

४, देश के ग्रामीण क्षेत्र में आधे से भी ज्यादा परिवार भूमिहीन हो चुके हैं या अत्यल्प या अलाभकारी जोत पर निर्भरशील हैं। कंगाली की जिंदगी जी रहे इन लोगों को वर्ष में औसतन १३० दिन भी काम नही मिल पाटा। इनके जीवन दशाओं में अपेक्षित सुधार के लिए आप/आपके दल की योजना क्या है?

५, देश के किसानो की भारी संख्या कर्ज तथा सूखोरी के चंगुल में फंस चुकी है। विगत कुछ वर्षों के दौरान इसमें से लाखो किसान आत्महत्या कर चुके हैं और यह सिलसिला अब भी जारी है। इन किसानो की मुक्ति के लिए आप /आपके दल की योजना क्या है?

६, खुदरा व्यापार के क्षेत्र में बड़ी-बड़ी कंपनियों के प्रवेश के चलते देश के करोडो छोटे दुकानदारों की रोजी-रोटी पर खतरे के बादल मंडरा रहे हैं। इन्हें संकट से बचाने के लिए आप/आपके दल की योजना क्या है?

७, विभिन्न कारणों से बड़े पैमाने पर लोगों को विस्थापित किया जा रहा है। शहरी क्षेत्रों में झुग्गी-झोपडी में बसे लोगों को उजाड़ कर उन्हें बेघर किया जा रहा है। इनके समुचित पुनर्वास के लिए आप/ आपके दल की योजना क्या है?

८, देश की लगभग ८० प्रतिशत महिलायें घर में और घर के बाहर हर मोर्चे पर पर तरह-तरह के उत्पीडन की शिकार हैं। रोजमर्रा के तुच्छ एवं टुच्चे घरेलू कामो के बोझ से छुटकारा पाये बिना और सामाजिक उत्पादन के क्षेत्र में नियोजित हुए बिना इनकी मुक्ति सम्भव नही है। इस सन्दर्भ में आप/आपके दल की योजना क्या है?

९, शिक्षा एवं चिकित्सा के व्यापक व्यवसायीकरण के चलते आम आदमी के लिए अच्छी शिक्षा एवं समुचित चिकित्सा सेवा दुर्लभ होती जा रही है। देश के प्रत्येक व्यक्ति को समान एवं अच्छी शिक्षा तथा समुचित चिकित्सा सेवा उपलब्ध कराने के लिए आप/आपके दल की योजना क्या है?

१०, कहते हैं कि बच्चे देश का भविष्य और राष्ट्र की संपत्ति हैं। लेकिन, देश के लगभग दो तिहाई बच्चे भयंकर कुपोषण और अशिक्षा-कुशिक्षा के शिकार हैं। इसी तरह अपनी ज़िंदगी देश के लिए लगा देने वाले तमाम बुजुर्ग लोग आज अपनी परवरिश तथा समुचित देखभाल के अभामे परिवार के अन्दर तिरस्कृत एवं अपमानित जीवन जी रहे हैं। इन बच्चों एवं बुजुर्गों के लिए आप/ आपके दल की योजना क्या है?
११, विभिन्न कारणों से देश के अन्दर हताश, निराश एवं कुंठित लोगों की संख्या तेजी से बढ़ रही जो विविध मादक द्रव्यों का सेवन करके अपना स्वास्थय एवं चरित्र तो ख़राब कर ही रहे हैं, पूरे समाज को इसके दुष्प्रभाव से प्रदूषित कर रहे हैं। इस समस्या से निपटने के लिए आप/आपके की योजना क्या है?

विनीत
अध्यक्षमंडल
भारतीय जन-संसद

नोट :- देश का प्रत्येक व्यक्ति इस पत्रक को किसी भी भाषा में छपवा कर वितरित करने-कराने के लिए अधिकृत है।

3 comments:

अनुनाद सिंह said...

इसके साथन्त में यह सवाल भी उठान्ना चाहिये कि कहीं 'जन-नेतागिरी' के ठेकेदारों अवं उनके 'बुद्धिजीवियों' की पिछले साठ साल की नीतियाँ तो उपरोक्त अधिकांश चीजोंके लिये जिम्मेदार नहीं हैं। यह प्रश्न इसलिये महत्वपूर्ण है कि सोवियत यूनियनेवं पूर्वी यूरोप के अधिकांश देश इसे साहसपूर्वक मान चुके हैं और इस तरह की नीतियों से वे डेढ़ दशक पहले से ही पीछे हट चुके हैं।

pranava priyadarshee said...

bhaayee anunaad singh ji 'jannetagiri ke thekedaaron' evam buddhijeeviyon se aapka kya matlab hai aur is patrak me uthaaye gaye muddon se unka kya sambandh hai ise jara saaf karen to achchha hoga. yah bhee ki soviet union aur poorvi yurope ke desh jo kuchh 'saahaspoorvak maan chuke hain' unse kyaa ye sawaal aapke muttabik kam mahatvapoorn ho jaate hain? agar haan to kaise?

malay* said...

bhai saheb
sawaal uthana sabse aasan kaam hai!
kripya samadhaan ki taraf aage badhen...
kyu hum sabhi kisi superman ka intezaar kar rahe hain?
agar koi baat reh gayi ho to keh dijiye

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