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Monday, July 7, 2008

बंद करो ये तुष्टीकरण!

- दिलीप मंडल

कश्मीर से शुरू होकर इंदौर और देश के कई हिस्से में मचे फसाद के दौरान ये बात कहना खास तौर पर जरूरी है। आप न जानते हों, ऐसा भी नहीं है। पिछले दो दशक में देश की राजनीति में जिस एक शब्द का शायद सबसे ज्यादा गलत इस्तेमाल हुआ है वो है - तुष्टीकरण।

सारे तथ्य इस बात के खिलाफ हैं कि मुसलमानों पर देश की संपदा लुटाई जा रही है। कोई ये नहीं कहता कि मुसलमान देश के सबसे संपन्न समुदाय हैं। कोई ये भी नहीं कहता कि उन्हें सरकारी नौकरियों में या शिक्षा संस्थानों में या फौज में ज्यादा जगह मिल रही है। या कि बैंक लोन देते समय मुसलमानों का खास ख्याल रखते हैं। या कि पुलिस मुसलमानों पर मेहरबान होती है। बल्कि हालात उलट हैं। फिर भी बिना किसी हिचक के ये बात कह दी जाती है कि मुसलमानों का तुष्टीकरण हो रहा है ।

देश में मुसलमानों का तुष्टीकरण अगर हो रहा है तो बंद होना चाहिए। लोकतंत्र में हर किसी को आगे बढ़ने का समान हक मिलना चाहिए। धर्म के आधार पर अवसर में असमानता क्यों होनी चाहिए? लेकिन क्या देश में मुसलमानों की जो हालत है उसे देखकर, जानकर कोई भी ये कह सकता है कि उनका तुष्टीकरण हो रहा है। दरअसल भारत में तुष्टीकरण की बात इतनी बार और इतने तरीके से कही गई है और कही जा रही है कि कोई भी आदमी अगर वो बेहद चौकन्ना और सचेत नहीं है, तो ये मान बैठेगा कि मुसलमानों पर देश की संपदा लुटाई जा रही है।

आइए देखते हैं कि देश की संपदा में किसका कितना हिस्सा है। ये आंकड़े नेशनल सैंपल सर्वे यानी एनएसएसओ के हैं। ये संस्था भारत सरकार के सांख्यिकी मंत्रालय के तहत काम करती है और सरकार चाहे कांग्रेस की हो या बीजेपी की या समाजवादी दलों की, इस संस्था के आंकड़े राजकाज से जुड़े फैसलों में निर्णायक महत्व के होते हैं। आंकड़ों को छोड़ भी दें तो इससे मिलती-जुलती तस्वीर आपको अपने शहर-कस्बों और गांवों में दिख जाएगी।

1. हिंदू (सवर्ण)

उच्च आय - 17.2%
मध्यम आय - 73.9
निम्न आय - 8.9%

2. हिंदू (एससी-एसटी)

उच्च आय - 6.3%
मध्यम आय - 65.1%
निम्न आय - 28.6%

3. हिंदू (ओबीसी)

उच्च आय - 1.5%
मध्यम आय - 72.6%
निम्न आय - 25.9%

4. मुसलमान(जनरल+ओबीसी)

उच्च आय - 4.2%
मध्यम आय - 65.0%
निम्न आय - 30.8%

इन आंकड़ों में गरीबी रेखा से नीचे यानी शहरी इलाकों में प्रति व्यक्ति 567 और ग्रामीण इलाकों में प्रति व्यक्ति 361 रुपए की मासिक आमदनी से कम वालों को निम्न आय में रखा गया है। जबकि एक लाख रुपए से ज्यादा की आय वाले परिवारों को उच्च आय वाला माना गया है। एनएसएसओ परिवार का औसत आकार 5.59 मानता है। इस लिहाज से प्रति व्यक्ति उच्च आय की परिभाषा है शहरी इलाकों में प्रति माह 1491 रुपए और ग्रामीण इलाकों में 1368 रुपए। इन दोनों (निम्न और उच्च) आय वर्गों के बीच में जो भी है उसे मध्यम आय वाला माना गया है।)

इन आंकड़ों को आप जस्टिस रजिंदर सच्चर की रिपोर्ट के 381 नंबर पेज पर भी देख सकते हैं

5 comments:

संतराम यादव said...

bolne wale yeh janne ki jaroorat hi nahin mahsoos karte ki asliyat hai.apne ulloo sidha karne men lage in logon ko kisi ke bhale se koi matlab nahin hai.

Anonymous said...

मुसलमानो और हिन्दुओ को आपस मे लडा कर कौन लाभ ले रहा है ? एंनडीटीवी को कौन पैसा देता है ? एंनडीटीवी क्यो हिन्दु और मुसल्मानो को लडाने मे रुचि रखती है ? मुसल्मान कौन है ? क्या उनके पुर्वज ईस धरा के वाशिन्दे थे या वे अन्य कही से आये थे ? हिन्दु और द्क्षण एसिया (भारत्वर्ष) के मुसल्मान एक साथ मिल कर ईस धरा के प्रगति के लिए क्यो नही काम कर सकते है ? यह कुछ विषय है जिन पर सोचना आवश्यक है ।

Anonymous said...

किस सच्चर की बात बता रहे हो वही जो आतंकवादियो के समर्थन मे खडा होता है . वही जिसे कशमीर मे मरते हिंदू नही दिखाई दिये ,तुम हो या वो दोनो दोनो बिके हुये दोनो अंधे दोनो टुच्चे दोनो लुच्चे दोनो हरामी

विकास बहुगुणा said...

अरे मंडल जी, आप मानें या न मानें, तुष्टिकरण तो हो रहा है..ये अलग बात है कि उससे मुसलमानों का नहीं बल्कि नेताओं का भला हो रहा है और यही इस तुष्टिकरण का मकसद है...तो फिर आंकड़े दिखाकर कुछ साबित करने की जरूरत रह ही कहां जाती है...मुसलमान हो या हिंदू...तुष्टिकरण बिना भी वैसा ही था...उसके होने पर भी वैसा ही है...बदले हैं तो बस नेताओं के ठाठ...

Anonymous said...

Mr. Mandal apne Income % to bata diya sath main ye bhe bata dete ki muslims ke sath aisa kyon hai uper incom group main jane ke liye parna parta hai muslman aaj bhe education ko importence nahe dete chote baccho ko kam main laga dete hai kamai karne ke liye kyonki itne bari family create karte hai ki ek admi ki kamai se ghar chal nahe pata family planing ka virodh sabse jyada musalman ne kiya janwaro ki tarah bacche pada karoge to janwaro ki jindgi he nasseb hogi. aaj bhe polio drop ka virodh musalman karte hai mahelao ki parai unhe nahe bhati woh dharm ke nam per sabse sensitive kaum hai sweden main cartoon bane aur dukane jalo hindustan main danga karo hindustan main M.F. husain ke fevar main aap jaise bahut log hai per taslima nasreen ka bhe favor kar ke dekho jara ye log aapka peche bhe par layenge.
Muslim socity main bahut sudhar ki jarrorat hai jaise hindu samaj main main kuprathao ke khilaf lambai larai chali hai vaise he muslims ko bhe samay ke sath kattata chor kar sudhar karna hoga varna in akro main koi sudha nahe hoga

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