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Thursday, November 13, 2008
आइए स्वागत करें नादिन गॉर्डिमर का
नादिन गॉर्डिमर दक्षिण अफ्रीका की श्वेत साहित्यकार हैं जिन्होंने अपने साहित्य और सामाजिक क्षेत्र में काम के जरिए रंगभेद की मुखालफत की है। आश्चर्य नहीं कि उनके 14 में से ज्यादातर उपन्यास कम या ज्यादा समय के लिए गुलाम द. अफ्रीका में प्रतिबंधित रहे, कोई 10 साल तो कोई 12 साल तक।
खास खबर यह है कि नोबेल पुरस्कार पाने वाली यह साहित्यकार और राजनीतिक कार्यकर्ता दो दिन के भारत दौरे पर हैं। आज दिल्ली और कल मुंबई में वे रहेंगी। भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद, भारत सरकार की नोबेल विजेता व्याख्यान श्रृंखला की दूसरी कड़ी के रूप में वे भारत आई हैं।
20 नवंबर 1923 को जन्मी गॉर्डिमर को औपचारिक शिक्षा नहीं के बराबर मिली। जोहानेसबर्ग की स्थानीय लाइब्रेरी ही उनकी शिक्षण संस्था थी। इसीलिए वे कहती हैं कि अगर उनकी चमड़ी का रंग काला होता तो वे साहित्यकार नहीं बन पातीं, क्योंकि उस लाइब्रेरी में अश्वेतों के आने की मनाही थी।
गॉर्डिमर ने 1998 में ब्रिटेन के ऑरेंज ब्रॉडबैंड साहित्य पुरस्कार के लिए शार्टलिस्ट होने से भी मना कर दिया क्योंकि यह पुरस्कार सिर्फ महिलाओं के लिए है। और गॉर्डिमर का मानना है कि महिलाओं को अलग खंड में , अलग स्तर पर रखने से उनकी बेहतरी नहीं हो सकती। इसके लिए उन्हें पुरुषों के साथ बराबरी की प्रतियोगिता का मौका मिलना चाहिए। एक बाग नहीं, एक खेत नहीं हम सारी दुनिया मांगेंगे!
आइए अपने देश में स्वागत करें इस विलक्षण, जुझारू, अगले हफ्ते 85 की होने जा रही नोबेल विजेता साहित्यकार, एड्स कार्यकर्ता (खास बात ये है कि इस एकमात्र मोर्चे पर वे दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति मबेकी की विरोधी हैं), राजनीतिक विचारक नादिन गॉर्डिमर का।
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नादिन गॉर्डिमर,
रंग भेद
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8 comments:
अरे वाह, ये सुनकर ही अच्छा लगा कि नादिन दिल्ली आईँ। ख़ामोशी की परतें नाम की किताब में इनकी एक कहानी मैंने पढ़ी है। पूरी किताब ही पढ़ने लायक है।
धन्यवाद अनुराधा आपने काम की सूचना दी !
अच्छी पोस्ट के लिए धन्यवाद
nice blog and ur work ji
Shyari Is Here Visit Jauru Karo Ji
http://www.discobhangra.com/shayari/sad-shayri/
Etc...........
सारगर्भित प्रस्तुति !!
nadin ka swagat.
prasun latant
bhut der se ye post maine pdhi .nadin ki kahaniyo or upanyaas 'mere bete ki kahaani'mere pasandeeda hain .behad himmeti hain nadin ,
bhut der se ye post maine pdhi .nadin ki kahaniyo or upanyaas 'mere bete ki kahaani'mere pasandeeda hain .behad himmeti hain nadin ,
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