स्तुति रानी
संभल जाओ कि सफ़र लंबा है
एक छोटा पत्थर दे सकता है
जख्म गहरा
गिरा सकता है तुम्हें मुँह के बल
उठ कर खडा भर हो जाना काफी नहीं होगा,
क्योंकि तुम्हें तो अभी जाना है चीर कर कुहासा
वहाँ तक जहाँ से खींच लानी है
वह रोशनी जो दूर कर सके
दीपक तले का अँधेरा
तब जाकर होगा तुम्हारा सबेरा
2 comments:
सही है.
shuru me sachet kartin ant me wishwas deti panktiyo par man reejh gaya Stuti. baantne or kehane ka ye silsila jari rakhen.
Pooja Prasad
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