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Wednesday, April 30, 2008

लिंकन और केनेडी : अंतराल सौ साल

लिंकन और केनेडी दोनों अमेरिका के राष्ट्रपति थे. दोनों को इतिहास मे महान राष्ट्रपति का दर्जा हासिल है. इसके अलावा भी दोनों मे समानताएं थीं? कितनी? अंदाजा लगा सकते हैं? नहीं तो नीचे की पंक्तियाँ पढिये. दैनिक भास्कर (२९ अप्रिल) के अपने दैनिक स्तंभ मे एन रघुरामन ने एक ईमेल के हवाले से इन समानताओं का जिक्र किया है. ये दिलचस्प जानकारियाँ आप सबके साथ शेयर करने के लिए हम यहाँ दे रहे हैं.



अब्राहम लिंकन को १८४६ मे कांग्रेस के लिए चुना गया था.
जॉन एफ कैनेडी को १९४६ मे कांग्रेस के लिए चुना गया था.

अब्राहम लिंकन को १८६० मे राष्ट्रपति चुना गया था.
जॉन एफ कैनेडी को १९६० मे राष्ट्रपति चुना गया था.

दोनों विशेष रूप से नागरिक अधिकारों के लिए चुने गए थे.
दोनों की पत्नियों ने व्हाइट हाउस मे रहते हुए एक बच्चा खोया था.

दोनों को शुक्रवार के दिन गोली मारी गयी थी.
दोनों को सिर मे गोली मारी गयी थी.

लिंकन के सचिव का उपनाम केनेडी था.
केनेडी के सचिव का उपनाम लिंकन था.

दोनों की हत्या दक्षिणवर्ती अमेरिकियों ने की थी.
दोनों के उत्तराधिकारी का उपनाम जॉन्सन था.

लिंकन के उत्तराधिकारी एंड्रू जॉन्सन का जन्म १८०८ मे हुआ था.
केनेडी के उत्तराधिकारी लंदन जॉन्सन का जन्म १९०८ मे हुआ था.

लिंकन के हत्यारे जॉन विल्किस बूथ का जन्म १८३९ मे हुआ था.
केनेडी के हत्यारे ली हार्वे ओसवाल्ड का जन्म १९३९ मे हुआ था.

दोनों हत्यारे तीन नामो से जाने जाते थे.
दोनों के नाम १५ अक्षरों से बने थे.

लिंकन को गोली फोर्ड नामक थियेटर मे मारी गयी थी.
केनेडी को गोली फोर्ड द्वारा निर्मित लिंकन नामक कार मे मारी गयी थी.

बूथ और ओसवाल्ड दोनों की हत्या मुकदमा शुरू होने से पहले ही कर दी गयी.

मारे जाने से एक सप्ताह पहले लिंकन मोनरोई मेरीलैंड मे थे.
मारे जाने से एक सप्ताह पहले केनेडी मेरिलीन मोनरोई मे थे.

लिंकन को थियेटर मे गोली मार कर हत्यारा एक मालगोदाम की ओर भागा था.
केनेडी को एक मालगोदाम मे गोली मार कर हत्यारा थियेटर की ओर भागा था.

4 comments:

Rajesh Roshan said...

साझा करने के लिए धन्यवाद. रोचक और अच्छी जानकारी

रीतेश said...

आपने बहुत ही रोचक जानकारी सुलभ कराई है.
ऐसे संयोग कम ही देखने को मिलते हैं या ऐसा भी कह सकते हैं कि इस तरह का संयोग मिलाने की कोशिश कम ही की जाती है.

Udan Tashtari said...

रोचक तथ्य.

pranava priyadarshee said...

राजेश रोशन जी, रितेश जी धन्यवाद. उड़न तश्तरी (समीर भाई ) का खास तौर पर शुक्रिया. आपके बारे मे अन्य ब्लौगरों से इतना सुन चुका हूँ कि लगता ही नही आपको नही जानता. उड़नतश्तरी के जरिये हर कही पहुंच कर सबका उत्साहवर्द्धन करने का आपका अभियान बहुत अच्छा है. कृपया इसे जारी रखें. एक बार फिर आभार.
प्रणव

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