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Friday, May 16, 2008

कोर्ट का हर आदेश मानना जरूरी नहीं होता..

... हर अदालती आदेश की अवहेलना मानहानि नहीं है... न ही सरकार के लिए हर वादा पूरा करने की मजबूरी है... संसदीय कमेटी की रिपोर्ट को मानने के लिए सरकार बाध्य नहीं है... लेफ्ट पार्टियां जनहित के सारे मुद्दे नहीं उठाती... न ही आपकी सेहत विपक्ष के एजेंडे पर है। क्योंकि इन सबसे बड़ा है बड़े कॉरपोरेट का हित। कॉरपोरेट सेक्टर और राजनीति के लगभग खुल्लमखुल्ला रिश्तों और इस पर कोर्ट की चुप्पी की कहानी पढ़िए, आज के नवभारत टाइम्स में। शीर्षक है - सस्ती दवा, खोजते रह जाओगे

2 comments:

Unknown said...

हर मुद्दे में दो पक्ष होते हैं. सरकार को देखना होता है किसका पक्ष ले? जिस पक्ष से ख़ुद का ज्यादा फायदा होता है उसी का पक्ष लेती है सरकार. आखिरकार सरकार में आए किसलिए हैं?

masha said...

dilip bhai, aapne sahi kaha. kai maamlo mein aisa hua hai. aur jab baat janhit ki aati hai to maamla hi alag ho jata hai.

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