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Tuesday, January 8, 2008

देशभक्ति की उम्मीद आप किस प्राइवेट सोसायटी से कर रहे हैं?













हम बीसीसीआई


से कुछ ज्यादा ही उम्मीद कर रहे हैं

पहले इन तस्वीरों को देखिएइनमें एक है बीसीसीआई का लोगोदूसरा
है अंग्रेजों के समय के वायसरॉय का झंडा और तीसरा है वो मेडल जो अंग्रेजी सरकार वफादार हिंदुस्तानियों और अपने बड़े अफसरों को देती थीतीनों में समानता क्या आपको चौंकाती हैबीसीसीआई से देशभक्ति और गैरत की उम्मीद करने वालों को इससे झटका लगना ही चाहिए या फिर कहेंगे - चलता है

बीसीसीआई एक कंपनी के जुड़ी है जिसका नाम आईसीसी है और जो ब्रिटिश वर्जिन आइलैंड में रजिस्टर्ड हैइस देश में दुनिया भर की सात लाख 92 हजार से ज्यादा कंपनियां रजिस्टर्ड हैंकोई कंपनी खुद को ब्रिटिश वर्जिन आइलैंड में क्यों रजिस्टर्ड कराती है ये जानने के लिए सीआईए का वर्ल्ड फैक्ट बुक देख लीजिएआर्थिक अपराधों की जांच वहां असंभव हैयही कारण है कि भारत में कारोबार करने वाली कई कंपनियां भी आपको वहां रजिस्टर्ड मिलेंगीबीसीसीआई के कारनामों की दास्तां लंबी हैफिर कभी बात होगी
-दिलीप मंडल

4 comments:

विजयशंकर चतुर्वेदी said...

दिलीप,
जितना पढ़ता जाता हूँ आपको, जानकारी के नए सागर भरते जाते है. भयातुर हूँ कि कहीं आपके ब्लॉग पर प्रतिबन्ध न लग जाए. वैसे अभी भाजपा सरकार केन्द्र में नहीं है इसलिए ऐसे किसी अतिवादी कदम की संभावना नहीं है. शीर्षक में अगर प्रायवेट की जगह औपनिवेशक संस्था लिखते तो मुझे शीर्षक ज्यादा पसंद आता.

संजय बेंगाणी said...

विजयशंकरजी ब्लॉगो पर प्रतिबन्ध कॉंग्रस सरकार ने लगाया था, भाजपा सरकार ने नहीं. और देश में आपातकाल भी कॉंग्रेस ने ही लादा था.

विजयशंकर चतुर्वेदी said...

संजय बेगाणी जी, मैं कांग्रेस को कोई क्लीन चिट देने नहीं चला था. मोटे तौर पर देखा जाए तो भाजपा और कांग्रेस एक ही सिक्के के दो पहलू हैं.

भाजपा इसलिए कि फ़िलहाल कांग्रेस की अगुवाई वाली सरकार केन्द्र में है और अब तक ऐसा कोई बयान उसने नहीं दिया जैसा भाजपा ने स्टिंग ऑपरेशन की प्रतिक्रिया में किसी भी तरह के मीडिया के ख़िलाफ़ दिया था. जबकि उस स्टिंग में कई कांग्रेसी सांसद भी फंसे थे. भाजपा को उसमें भी कांग्रेस का ही हाथ नज़र आया था.

रही आपातकाल की बात, तो वह समय आने पर भाजपा कभी भी लगा सकती है. कई बार आपातकाल छिपे तौर भी लगाया जाता है. जैसा कि मोदी ने गुजरात में चुनाव के पहले और चुनाव के दौरान लगा रखा था सीएनएनईबीएन चैनल पर. क्योंकि वह मोदी की कलई खोलने वाली रपटें दिखाता था. कई पत्रकारों को चुनाव कवर ही नहीं करने दिया गया क्योकि वे मोदी और उनकी सेना को फूटी आंखों नहीं सुहाते थे. जब 'लघु आपातकाल' से काम चल जाए तो कोई अतिवादी कदम उठाने की जरूरत क्या है?

कांग्रेसी सरकारें भी अपने हित साधने के लिए 'पूर्ण आपातकाल' से पहले और बाद में इसी प्रकार के हथकंडे अपनाती रही हैं, चाहे वह मध्यप्रदेश में हो या महाराष्ट्र में. हमारी और आपकी बात राजनीतिक दलों को जिस दिन असुविधाजनक लगी, उसी दिन प्रतिबन्ध लगा समझिए. मैं समझता हूँ कि अपना मनोगत मैंने स्पष्ट कर दिया है.

राजीव रंजन श्रीवास्‍तव said...

Bhai Saahab aapke clean cheat de dene se kisi ko clean cheat nahi mil jayega. Aap aisi tippani kar ke mudde ko halka to kar hi rahae hai, Taslima jaisi lekhikaaon ko ghtne tekne ke kiye mazboor karne walon ka hosala bhi badha rahe hai. Mujhe lagta hai ki aise hi bayano ke karan jo log nutral hai hain, Modi jaiso ka samarthan karne lagte hai.
Rajeev Ranjan

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