एड्स नियंत्रण का अनकहा सच
(एड्स खतरनाक बीमारी है। इस बात को आप अपने निजी अनुभव, आस-पास रिश्तेदारी, दोस्तों, मोहल्ले, कस्बे, अपार्टमेंट में होने वाली मौंतों से बेशक महसूस न कर पाएं, लेकिन सरकार से लेकर तमाम एनजीओ और विश्वभर की संस्थाएं आपको यही समझाने की कोशिश कर रही हैं। आइए जानते हैं कुछ तथ्यों के बारे में। ये सारे तथ्य भारत सरकार ने संसद में लिखित रूप में रखे हैं। ये सबसे ताजा उपलब्ध आंकड़े है, जबकि पिछली पोस्ट के आंकड़े पुराने हो गए हैं। इन सबके लिंक दे रहा हूं, ताकि निष्कर्ष पर विवाद हो तो भी स्रोत सामग्री की विश्वसनीयता बनी रहे। - दिलीप मंडल)
एड्स से भारत में हर साल कितने लोग मरते हैं?
भारत सरकार कहती है कि 2004-5 में 1678, 2005-2006 में 1624 और 2006-2007 में 1786 लोग एड्स की वजह से मौत के शिकार हुए। स्वास्थ्य मंत्रालय ने ये आंकड़ा 7 सितंबर 2006 को संसद में पेश किया। ये उस सरकार के नतीजे हैं जो एड्स को देश की सबसे बड़ी स्वास्थ्य समस्या मानती है और कॉमन मिनिमम प्रोग्राम में जिस एक बीमारी का जिक्र है वो एड्स ही है।
टीबी और कैंसर से हर साल कितने लोग मरते हैं?
भारत सरकार ने संसद को बताया है कि कि हर साल 18 लाख से ज्यादा लोगों को टीबी होता है और साल में 3 लाख 70 हजार से ज्यादा लोग टीबी से मरते हैँ। दुनिया में टीबी के कुल केस का 20 परसेंट सिर्फ भारत में दर्ज होता है। यानी दुनिया में टीबी का हर पांचवां मरीज भारतीय है।
कैंसर की बात करें तो आईसीएमआर के जरिए राष्ट्रीय कैंसर रजिस्ट्री में हर साल 7 से 9 लाख नए कैंसर मरीजों के मामले हर साल दर्ज होते हैं और हर साल 4.4 लाख लोग कैंसर से मरते हैं। कैंसर भारत में मौत की चौथी सबसे बड़ी वजह है। ये आंकड़े आप संसद की साइट पर देख सकते हैं।
(जारी... अगले हिस्से में बात खर्च की जिसे जानकर आपकी आंखें खुल जाएंगी।)
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Thursday, February 21, 2008
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2 comments:
एड्स तो बहुत बड़ा गोरखधंधा हो चुका है.
bilkul sahi bat hai.maine apne aas-paas koi bhi aids kaa mareej nahi dekha, jabki cancer se marne walon ki sankhya sabko pata hai. kyon nahi itna paisa tambacoo aur sharab ki bikri rok kar us se hone wale nuksan ki bharpai main use kiya jata ? is se hajaron logo ki jaan bachai ja sakti hai
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