(हर बातचीत का कोई नतीजा निकले ये जरूरी नहीं है। हर समस्या का समाधान भी नहीं होता। हिंदी ब्लॉगिंग के शैशव काल में कम्युनिटी ब्लॉग के चरित्र को लेकर एक अच्छी बातचीत की गुंजाइश है। इसके सूत्र आपको यहां दिखेंगे। ये वो टिप्पणियां हैं जो रिजेक्ट माल में चोखेर बाली के बारे में डाली गई एक पोस्ट पर आई हैं। - दिलीप मंडल)
swapandarshi said...
इतना मानती हू कि बिना समझे-बूझे मै चोखेर बाली मे कूद पडी, पर बाहर सोच समझ कर निकली हू. मेरे पास ब्लोग के लिये बहुत ही सीमीत समय है, और उस समय का बेहतर उपयोग किस तरह हो यही मेरी सोच का केन्द बिन्दु है.
बाकी जीवन मे कई तरह के प्रयोग चलते रहते है, इसे भी इसी स्पिरिट से लिया जाय.
मेरी शुभ्कामानाये भी चोखेर बाली के साथ है. फिल्हाल एक -दो लोगो के आने जाने से किसी सामूहिक प्रयास की मौत नही होती. एक जायेगा तो दस नये आयेंगे.
और कोई भी सामूहिक प्रयास अंतिम प्रयास भी नही होता. उम्मीद है कि चोखेर बाली जैसे अभी कई प्रयास ब्लोग मे होंगे.
आशीष said...
साहब मुझे तो लगता है कि चोखेर बाली को फालतू की बातों पर कान ही नहीं देना चाहिए, बस धीरे धीरे अपने लक्ष्य की ओर बढ़े। कई ब्लॉगरों के सामने चोखेर बाली एक चुनौती बन कर उभरी है, जो कि अच्छी बात है
दिलीप मंडल said...
स्वपनदर्शी की बात मुझे सही लगती है।
विखंडन said...
भाई हम भी यही मानते की चोखेर बाली क्या किसी भी ब्लोग की मौत की कामना नही करनी चाहिए । जितने ज्याद ब्लोग उतने ही विचार ओर जितने ज्याद विचार उतना ही विम्रश का मजा आएगा । ओर अगर किसी के विचार से सहमत नही है तो उसे वैचारिक स्तर ही ज्वाब देना चाहिए न की खुद या उसे वहा से भगाने की कोशिश करे ओर न ही जिस व्यक्ति , स्त्री या फिर पुरुष , को कोसना शुरु कर दे।
दिलीप मंडल said...
किसी भी ब्लॉग की मौत की कामना नहीं करनी चाहिए - सही कहा है।
masijeevi said...
ऑंख में कुछ चुभता है तो तकलीफ तो होती ही है होने दीजिए...सच भी चुभता है उसे भी चुभने दें।
एक बात स्वप्नदर्शी से मुझे नहीं लगता कि जो एक दो मित्र किसी भी वजह से फिलहाल चोखेरबाली से अलग हो रहे हैं उन्हें कोई गलत स्पिरिट में ले सकता है...न केवल उन्हें ऐसा करने का पूरा हक है वरन उनका ऐसा करना इसी चोखेरबाली स्पिरिट को ही दिखाता है। वे जहॉं या जिस भी रूप में विमर्श को जारी रखेंगीं यह इसी भावना का ही प्रसार होगा। उनका खुलकर अपनी बात कहने का जज्बा भी ता चोखेरबाली भावना का ही हिस्सा है। कम से कम एक पाठक के रूप में मुझे तो ऐसा ही लगता है।
दिनेशराय द्विवेदी said...
दिलीप भाई। परेशान होने की कोई आवश्यकता नहीं है। जो मरेगा वह अपनी कमजोरियों के कारण और जो जिएगा,फलेगा-फूलेगा अपनी खूबियों के कारण। आप तो मानते हैं न कि अन्तर्वस्तु ही प्रमुख है। वाद प्रतिवाद न होगा तो संवाद कहाँ से आएगा। बस इतनी कोशिश बनी रहे कि संवाद न टूटे। मन्थन से ही अमृत और विष की अलग अलग पहचान बनेगी।
सुजाता said...
दिलीप जी
आप की और बहुतों की शुभकामनाएँ साथ हैं । धक्के से चोखेर बाली और मज़बूत होकर निकलेगी । मरेगी नही । क्योंकि यह एक सामूहिक ब्लॉग है इसलिए सामूहिक ब्लॉग आत्महत्या नही कर सकता । और हत्या तो उसकी हो ही नही सकती ।और यह तो अंतत: स्वप्नदर्शी जी ने भी मान लिया कि यह एक सामूहिक ब्लॉग है :-) उनकी शुभकामनाओं का हृदय से सम्मान करती हूँ और उम्मीद करती हूँ कि वे बनी रहें । धन्यवाद !!
swapandarshi said...
एक और बात, चोखेर बाली की शुरुआत औरतो के पहले सामूहिक ब्लोग की तरह हुयी थी,
पर अब ये सिर्फ एक सामूहिक ब्लोग बचा है, जिसका संचालन सुजाता कर रही है.
दिलीप मंडल said...
औरतों का ब्लॉग और कम्युनिटी ब्लॉग जिसमें मेन मॉडरेटर औरत हो, दोनों के लिए ही और न जाने कितने ही और वेरायटी के लिए ब्लॉग में जगह है। चोखेर बाली के बारे में मेरी कल्पना ऐसे कम्युनिटी (पोस्ट करने का अधिकार सभी सदस्यों के पास हो, तो वो कम्युनटी ब्लॉग बन जाता है)ब्लॉग की थी, जहां आधुनिक स्त्री विमर्श के लिए जगह होगी। चोखेर बाली क्या बनेगा, इस बारे में किसी के भी विचार हो सकते हैं, लेकिन ये बनेगा वही, जो आप चाहती हैं।
बहरहाल जमकर लिखिए अपनी कामयाबी की, संघर्ष की, गुस्से की और पीड़ा की और प्यार दुलार की कहानियां। यहां नहीं तो कहीं और सही, कहीं और नहीं तो कहीं और सही।
किसी के आने जाने से फर्क सचमुच नहीं पड़ता है, बस थोड़ी देर के लिए मन कड़वा हो जाता है। आप लोग जो भी करना चाहें, उसके लिए शुभकामनाएं।
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5 comments:
mae is per apni raay rakh chukii hun
http://mujehbhikuchkehnahaen.blogspot.com/2008/02/blog-post_24.html
खूब होने दो बातें ऐसी वैसी
जो आँख में न चुभे वो चोखेर बाली कैसी।
पढ़कर अच्छा लगा ,मजा आ गया,धन्यवाद।
http://swapandarshi.blogspot.com/2008/02/blog-post_21.html
kuchh afterthought
http://mujehbhikuchkehnahaen.blogspot.com/2008/02/blog-post_24.html
कुछ लोग चाहते हैं कि चोखेरबाली का अंत हो जाए। कहना कितना सही हैं पता नहीं क्योकि जो है ही नहीं उसका अंत कौन और क्यों चाहेगा
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